पैड्स, पैंट्स या मेंस्ट्रुअल कप : पर्यावरण के लिए क्या है बेहतर?

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- Author, एना सैंटी
- पदनाम,
अमेरिका में हर साल 20 अरब डिस्पोज़ेबल मेंस्ट्रुअल प्रोडक्ट फेंके जाते हैं. जबकि बाज़ार में दोबारा इस्तेमाल किए जा सकने वाले प्रोडक्ट भी मौजूद हैं. इनमें पैड्स, पीरियड पैंट्स और मेंस्ट्रुअल कप शामिल हैं.
इस लेख में हम ये जानने की कोशिश करेंगे कि इनमें से कौन-सा प्रोडक्ट सबसे ज़्यादा टिकाऊ और सुरक्षित है.
कुछ साल पहले, जब मैं अपने दोस्तों के साथ वीकेंड पर घूमने गई थी, तो मेरी एक दोस्त ने पीरियड पैंट्स का ज़िक्र किया था.
उसने एक ही बार इस्तेमाल किए जाने टैम्पोन और पैड का इस्तेमाल छोड़कर पर्यावरण के लिए अपनी ज़िम्मेदारी निभाने का फ़ैसला किया.

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मैंने इस प्रोडक्ट के बारे में सुना तो था, लेकिन कभी किसी को इसे पहनते हुए नहीं देखा था. इसलिए मुझे यकीन नहीं था कि क्या वाकई इनके इस्तेमाल से पीरियड्स में गीलापन महसूस नहीं होगा?
मेरी दोस्त ने मुझे इन प्रोडक्ट्स के बारे में विश्वास दिलाया और तब से ये मेरा पसंदीदा मेंस्ट्रुअल प्रोडक्ट बन गया है.
लेकिन आज जब मैं अपने स्थानीय सुपरमार्केट में मेंस्ट्रुअल प्रोडक्ट के सेक्शन में जाती हूं तो वहां मौजूद प्रोडक्ट की संख्या देखकर हैरान रह जाती हूं.
इतने सारे पैड्स और टैम्पोन (कुछ ऑर्गैनिक ज़्यादातर नॉन ऑर्गैनिक) कई तरह के मेंस्ट्रुअल कप और कुछ पीरियड पैंट्स.
अभी भी अकेले यूरोप में हर साल 49 अरब 'सिंगल-यूज़' पीरियड प्रोडक्ट का इस्तेमाल किया जाता है.
अमेरिका में हर साल 20 अरब पीरियड प्रोडक्ट फेंके जाते है, जिनसे 240,000 टन का कचरा पैदा होता है.
दुनियाभर में सबसे ज़्यादा डिस्पोज़ेबल सैनेटरी पैड्स इस्तेमाल किए जाते है जिनसे 90 फ़ीसदी प्लास्टिक पैदा होता है और ज़्यादातर ये प्लास्टिक लैंडफ़िल में चले जाते हैं.
इसीलिए मैंने सोचा कि क्यों न सबसे ज़्यादा सस्टेंबल पीरियड प्रोडक्ट खोजा जाए.
मेंस्ट्रुअल कप क्यों है बेहतर विकल्प ?

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दुनिया भर में हर महीने 1.8 अरब लोगों को पीरियड होते हैं. इसे ध्यान में रखते हुए, फ्रांस और अमेरिका के वैज्ञानिकों ने चार तरह के मेंस्ट्रुअल प्रोडक्ट्स की स्टडी की:
- डिस्पोजेबल (इस्तेमाल के बाद फेंकने योग्य) पैड और टैम्पोन, जिनमें ऑर्गैनिक और नॉन-ऑर्गैनिक दोनों शामिल हैं (टैम्पोन में एप्लीकेटर भी होता है).
- रीयूज़ेबल (फिर से इस्तेमाल किए जा सकने वाले) पैड.
- पीरियड पैंट्स (स्पेशल अंडरवियर जो पीरियड ब्लड सोखते हैं).
- मेंस्ट्रुअल कप, जो सॉफ्ट सिलिकॉन या रबर से बने होते हैं और करीब 20-30 एमएल खून रोक सकते हैं.
इस स्टडी में पर्यावरण पर पड़ने वाले आठ तरह के प्रभावों की तुलना की गई, जैसे ग्लोबल वार्मिंग, जीवाश्म संसाधनों का इस्तेमाल, जमीन और पानी की खपत, कैंसर होने का खतरा, पर्यावरण को नुकसान, एसिडिटी और जल प्रदूषण.
यह स्टडी तीन देशों (फ्रांस, भारत और अमेरिका) में एक साल तक की गई, जिसमें प्रोडक्ट के बनने से लेकर उसके फेंके जाने तक के असर को मापा गया.
तीन देशों में की गई इस स्टडी में पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभावों को देखते हुए, सबसे सस्टेनेबल विकल्प मेंस्ट्रुअल कप साबित हुआ. इसके बाद पीरियड पैंट्स, फिर रीयूज़ेबल पैड्स और आखिर में सिंगल-यूज़ पैड्स और टैम्पोन .
छोटे और हल्के वजन के मेंस्ट्रुअल कप को 10 साल तक इस्तेमाल किया जा सकता है.
डिस्पोज़ेबल पैड्स चाहे ऑर्गैनिक हों या नॉन ऑर्गैनिक, दोनों ने लगभग पर्यावरण को काफ़ी नुकसान पहुंचाया है.
ग्लोबल वार्मिंग का मुख्य कारण उत्पादन प्रक्रिया है. जिसमें से आधे से ज़्यादाउत्पादन पॉलीएथिलीन (एक पेट्रोलियम बेस्ड प्लास्टिक) की वजह से होता है.
लेकिन इस स्टडी में सामने आई बात चौंकने वाली नहीं है. ऑर्गैनिक कॉटन पैड्स ने पांच कैटेगिरी में सबसे ज़्यादा पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया है.
विशेषज्ञों का क्या मानना हैं?

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इस स्टडी की सह-लेखिका हैं-माइंस पेरिस-पीएसएल यूनिवर्सिटी की रिसर्चर मेलानी डूज़िच. उनका कहना है, ''इसका असर ज़्यादातर कच्चे माल के उत्पादन और ऑर्गैनिक प्रोडक्ट्स से जुड़ा है, जिनका पर्यावरण पर ज़्यादा प्रभाव पड़ सकता है.''
ऑर्गैनिक खेती की पैदावार पारंपरिक खेती की तुलना में कम होती है, जिससे समान मात्रा में कपास उगाने के लिए ज़्यादा पानी और ज़मीन की ज़रूरत पड़ती है. ठीक इसी प्रकार के नतीजे ऑर्गैनिक और नॉन-ऑर्गैनिक टैम्पोन में भी मिलते है.
हर प्रोडक्ट के लाइफ़ साइकल के अलग-अलग हिस्से पर्यावरण पर अलग असर डालते हैं.
मेलानी डूज़िच बताती हैं, "डिस्पोजेबल प्रोडक्ट्स में कच्चे माल का उत्पादन और मैन्युफ़ेक्चरिंग सबसे ज़्यादा असर डालते हैं, क्योंकि इनमें प्लास्टिक होता है, जो ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ाता है. रीयूज़ेबल प्रोडक्ट्स में सबसे ज़्यादा असर मैन्युफैक्चरिंग और इस्तेमाल के दौरान पड़ता है, ख़ासकर इन्हें साफ करने के लिए लगने वाली बिजली का.''
रीयूज़ेबल प्रोडक्ट्स को दोबारा इस्तेमाल करने से पहले धोने के लिए पानी और बिजली की ज़रूरत होती है. लेकिन पीरियड पैंट्स, रीयूज़ेबल पैड्स से बेहतर साबित होते हैं, क्योंकि अगर ये ना हों तो वैसे भी कोई और अंडरवियर पहनना और धोना ही पड़ेगा.
डूज़िच कहती हैं, "भले ही मेंस्ट्रुअल कप सबसे अच्छा विकल्प हो, लेकिन पीरियड पैंट्स भी एक अच्छा पर्यावरणीय विकल्प हैं, क्योंकि इनसे नुकसान कम होता है."
इसके अलावा, इन्हें कैसे धोया जाता है, इससे भी पर्यावरण पर असर पड़ता है. अगर कम तापमान पर और पूरी मशीन भरी होने पर धोया जाए, तो इसका असर और कम किया जा सकता है.
इस स्टडी में प्लास्टिक प्रदूषण को शामिल नहीं किया गया, लेकिन रिसर्च के मुताबिक, हर एक पैड में उसका एक रैपर, विंग्स और चिपकने वाला हिस्सा होता है, जो लगभग 2 ग्राम नॉन-बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक पर्यावरण को देता है.
यह प्लास्टिक चार पॉलीथिन बैग्स के बराबर होता है और इसे डिकम्पोज करने में लगभग 500 से 800 साल लगते हैं.
स्टडी के मुताबिक, अमेरिका में 80 फ़ीसदी पारंपरिक (कॉन्वेंशनल) टैम्पोन और 20 फ़ीसदी पैड्स को टॉयलेट में फ्लश कर दिया जाता है. इससे सीवर जाम हो जाते हैं और माइक्रोप्लास्टिक्स (बहुत छोटे प्लास्टिक के कण) समुद्र में पहुंचकर प्रदूषण फैलाते हैं.
इस रिपोर्ट से पहले, साल 2021 में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम ने एक रिसर्च करवाई थी. इसमें मेंस्ट्रुअल प्रोडक्ट्स से पर्यावरण पर पड़ने वाले असर की तुलना की गई थी, जिसमें प्रदूषण और संसाधनों की खपत जैसी बातें शामिल थीं.
केप टाउन की नॉन-प्रॉफ़िट संस्था टीजीएच थिंक स्पेस की डायरेक्टर फिलिपा नॉटेन इस स्टडी की सहयोगी लेखिका हैं, उनका कहना है कि पीरियड्स से जुड़े प्लास्टिक प्रोडक्ट्स के लाइफ़ साइकल खत्म होने का पर्यावरण पर क्या असर होता है, इस पर ज़्यादा डेटा मौजूद नहीं है.
वो बताती हैं कि आमतौर पर प्लास्टिक को इस तरह से दिखाया जाता है जैसे ये या तो लैंडफ़िल में जाता है या जला दिया जाता है. लेकिन हैरानी की बात ये है कि लैंडफिल को कार्बन फुटप्रिंट के नजरिए से अच्छा माना जाता है, क्योंकि प्लास्टिक को पूरी तरह गलने में सैकड़ों साल लग जाते हैं. इस दौरान इसमें मौजूद कार्बन लैंडफिल में ही बंद रहता है, जिससे यह कार्बन स्टोर करने का काम करता है. वो कहती हैं, ''हकीकत में हर प्रोडक्ट सही कचरा प्रबंधन प्रक्रिया तक नहीं पहुंचता. कई बार ये समुद्र तटों पर कचरे के रूप में बिखर जाता है या समुद्र में माइक्रोप्लास्टिक बन जाता है. इसके अलावा, प्लास्टिक के उत्पादन में भी बहुत ज़्यादा कार्बन निकलता है, जो पर्यावरण पर असर डालता है.''
यूएनईपी की रिपोर्ट में मेंस्ट्रुअल कप को सबसे अच्छा विकल्प बताया गया है और ये बाकी प्रोडक्ट्स से काफी आगे है. फ़िलिपा नॉटेन कहती हैं, "ऐसा किसी प्रोडक्ट के साथ बहुत कम होता है."
वो आगे समझाती हैं, "ऐसा नहीं है कि मेंस्ट्रुअल कप का कोई कार्बन फ़ुटप्रिंट नहीं होता, लेकिन क्योंकि ये एक छोटा और हल्का प्रोडक्ट है, इसलिए इसका असर बाकी प्रोडक्ट्स के मुकाबले काफी कम होता है."
"हम इन स्टडीज़ में हमेशा 'ब्रेक इवन पॉइंट' की बात करते हैं यानी किसी भी रीयूज़ेबल प्रोडक्ट को कितनी बार इस्तेमाल करना होगा, ताकि उसके निर्माण और इस्तेमाल के दौरान हुए उत्सर्जन की भरपाई हो सके, जब इसे सिंगल-यूज़ प्रोडक्ट से तुलना की जाए. अक्सर ये संख्या बहुत ज़्यादा होती है, जैसे 100 बार. लेकिन मेंस्ट्रुअल कप के मामले में, इसे केवल एक महीने तक इस्तेमाल करने से ही इसका कार्बन फ़ुटप्रिंट बैलेंस हो जाता है."
दोनों स्टडीज़ इस बात पर ज़ोर देती हैं कि पर्यावरण पर पड़ने वाले असर के अलावा और भी कई पहलू हैं जिन पर ध्यान देना ज़रूरी है. ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन केवल एक हिस्सा है.
पाउला पेरेज़-लोपेज़, जो फ्रांस और अमेरिका की इस स्टडी की सहयोगी लेखिका और माइन्स पेरिस-पीएसएल यूनिवर्सिटी की रिसर्चर हैं.
वह कहती हैं, "हम चाहे कुछ भी करें, उसका असर तो पड़ेगा ही, लेकिन कोशिश यह होनी चाहिए कि इस असर को जितना हो सके कम किया जाए."
लाइफ़-साइकिल असेसमेंट में सलाह दी गई है कि महिलाओं को पर्यावरण पर पड़ने वाले असर के अलावा सामाजिक और सांस्कृतिक सोच और सुविधाओं को भी ध्यान में रखना चाहिए.
पेरेज़-लोपेज़ आगे बताती हैं, "यह हमारी पर्यावरण से जुड़ी रिसर्च का हिस्सा नहीं था, लेकिन कुछ अफ्रीकी देशों में रीयूज़ेबल प्रोडक्ट्स, खासकर मेंस्ट्रुअल कप, कई लड़कियों के लिए स्कूल जाने या न जाने का कारण बन सकते हैं, क्योंकि उनके पास पीरियड्स के दौरान इस्तेमाल करने के लिए सही प्रोडक्ट्स नहीं होते हैं."
बेशक, सभी तरह के पीरियड प्रोडक्ट्स हर जगह आसानी से नहीं मिल सकते, लेकिन मेंस्ट्रुअल कप का मिलना फिर भी आसान है. यह छोटा होता है और इसे कई सालों तक इस्तेमाल किया जा सकता है.
मेंस्ट्रुअल कप का सही इस्तेमाल है ज़रूरी

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हालांकि, हाल ही में आई कुछ रिपोर्ट्स में चेतावनी दी गई है कि अगर मेंस्ट्रुअल कप सही से फ़िट न हो या उसका साइज़ ठीक न हो, तो इसके गंभीर नतीजे हो सकते हैं.
उदाहरण के लिए, एक महिला को अस्थायी रूप से किडनी से जुड़ी समस्या का सामना करना पड़ा, जबकि कुछ महिलाओं को पेल्विक ऑर्गन प्रोलैप्स जैसी दिक्कतें हुईं.
लंदन के पोर्टलैंड अस्पताल में डॉक्टर शाज़िया मलिक, जो एक गायनेकोलॉजिस्ट हैं. वह 12 से 19 साल की लड़कियों को मेंस्ट्रुअल कप इस्तेमाल करने की सलाह देने में थोड़ी हिचकिचाती हैं.
उनका मानना है कि जब तक लड़कियों को इसे सही तरीके से इस्तेमाल करने और साफ़ रखने की पूरी जानकारी न हो, तब तक इसका इस्तेमाल करना सही नहीं है.
शाज़िया मलिक बताती हैं, "पिछले आठ सालों में मैंने कई मरीज देखे हैं, जिनमें महिलाएं और लड़कियां दोनों शामिल हैं. जिन्हें मेंस्ट्रुअल कप इस्तेमाल करने के बाद इंफ़ेक्शन हो गया था."
"अगर मेंस्ट्रुअल कप सही तरीके से नहीं लगाया जाए, तो ये ब्लैडर या रेक्टम पर दबाव डाल सकता है और इससे मेंस्ट्रुअल कप में पीरियड्स का खून सही से जमा नहीं हो पाता है."
मलिक लंबे समय तक एक ही मेंस्ट्रुअल कप इस्तेमाल करने के खतरों को लेकर भी सचेत करती रही हैं.
उनका कहना है कि महिलाओं के पास दो कप होने चाहिए, ताकि उन्हें बारी-बारी से इस्तेमाल किया जा सके. हर बार इस्तेमाल के बाद, चाहे सुबह हो या रात, कप को अच्छी तरह से साफ़ करना बहुत जरूरी है. और जैसे ही कप में कोई टूट-फूट या घिसावट दिखे, तो उसे तुरंत बदल देना चाहिए.
मलिक कहती हैं, "हमें मेंस्ट्रुअल कप का सही साइज़ चुनने को लेकर भी जागरूकता की ज़रूरत है. मेंस्ट्रुअल कप का साइज इस बात पर निर्भर करता है कि आपका पीरियड का फ़्लो कैसा है और क्या आपने नॉर्मल डिलीवरी की है या नहीं. अगर महिलाओं को मेंस्ट्रुअल कप की सही जानकारी हो तो यह बहुत बढ़िया पीरियड प्रोडक्ट है."
महिला स्वास्थ्य के लिए पीरियड एक्ट क्यों ज़रूरी है?

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यूके में महिलाओं के लिए काम करने वाली नॉन-प्रॉफ़िट संस्था वुमेन्स एनवायर्नमेंटल नेटवर्क (डब्ल्यूईएन), महिलाओं के लिए 'मेनस्ट्रुअल हेल्थ, डिग्निटी और सस्टेनेबिलिटी एक्ट' की मांग कर रही है. इस कानून का मकसद पीरियड पावर्टी, पर्यावरण प्रदूषण और पीरियड प्रोडक्ट्स में मौजूद जहरीले केमिकल्स से निपटना है. डब्ल्यूईएन का कहना है कि स्पेन के कैटालोनिया क्षेत्र में लागू की गई नई नीति एक अच्छा उदाहरण है.
मार्च 2024 से कैटालोनिया में सभी महिलाओं को फ्री और रीयूज़ेबल पीरियड प्रोडक्ट्स उपलब्ध कराए जा रहे हैं.
अमेरिका की एक स्टडी में टैम्पोन में 16 तरह की धातुएं (मेटल्स) पाए जाने की बात सामने आई है, जिनमें लेड (सीसा) भी शामिल है.
वहीं, यूके की मैगज़ीन "विच");