आईपीएलः पहले क्वालीफ़ायर में पंजाब के सामने बेंगलुरु, दिग्वेश राठी 'मांकडिंग' से फिर आए चर्चा में

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- Author, अभिजीत श्रीवास्तव
- पदनाम, बीबीसी हिंदी के लिए
जितेश शर्मा की नाबाद 85 रनों की आक्रामक पारी और मयंक अग्रवाल के 41 रनों की मदद से रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु ने लखनऊ सुपर जायंट्स को हराकर प्लेऑफ़ में अपना दूसरा स्थान पक्का कर लिया है.
अब पंजाब किंग्स 29 मई को पहले क्वालीफ़ायर में आरसीबी से भिड़ेगी. 30 मई को इलिमिनेटर में मुंबई इंडियंस और गुजरात टाइटंस का मुक़ाबला होगा.
प्लेयर ऑफ द मैच जितेश ने 33 गेंद की नाबाद पारी में आठ चौके और छह छक्के लगाए. उन्हें मयंक अग्रवाल का अच्छा साथ मिला जिन्होंने 23 गेंद की नाबाद पारी में पांच चौके जड़े.
बेंगलुरु के दोनों खिलाड़ियों ने पांचवें विकेट के लिए 45 गेंद में 107 रनों की अटूट साझेदारी की. यही पार्टनरशिप लखनऊ पर भारी पड़ी.
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इससे पहले लखनऊ ने निर्धारित 20 ओवर में 227 रन बनाए. इस स्कोर में कप्तान ऋषभ पंत के 118 रन शामिल थे जो उन्होंने महज़ 61 गेंदों में बनाए.
राठी फिर चर्चा में

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कल लखनऊ में हुए मुक़ाबले में आईपीएल 2025 से डेब्यू करने वाले लखनऊ सुपर जायंट्स के दिग्वेश राठी एक बार फिर चर्चा में हैं.
एक मैच के निलंबन के बाद जब बीती रात वो आरसीबी के ख़िलाफ़ मैच खेलने लौटे तो उन्होंने फिर ऐसा कारनामा किया जो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया.
दरअसल, आरसीबी की बल्लेबाज़ी के दौरान 17वें ओवर में दिग्वेश राठी की पहली गेंद पर छक्का जमा कर जितेश शर्मा ने केवल 22 गेंदों पर आईपीएल का अपना पहला अर्धशतक पूरा किया था.
इसी ओवर की आखिरी गेंद डालने से ठीक पहले दिग्वेश ने अपने गेंदबाज़ी एक्शन को बीच में ही रोककर नॉन स्ट्राइकर छोर पर स्टंप्स बिखेर दिए.
राठी गेंद डालने आ रहे थे लेकिन जितेश बॉलिंग क्रीज़ से आगे निकल चुके थे और राठी ने बल्लेबाज़ की तरफ़ गेंद डालने की बजाय नॉन स्ट्राइकर छोर पर स्टंप्स बिखेर दिए.
इसके बाद उन्होंने आउट की अपील की. तो अंपायर ने पूछा कि 'क्या आप अपनी अपील पर बरकरार हैं.' इस पर राठी ने जब 'हां' कहा तो फ़ील्ड अंपायर ने उसे थर्ड अंपायर को रेफ़र कर दिया.
रिप्ले स्क्रीन पर दिखा कि जब राठी ने बेल्स हटाई तब जितेश क्रीज़ से बाहर निकल चुके थे, लेकिन उन्होंने क्रिकेट के नियम के मुताबिक़, जितेश को आउट नहीं दिया.
अंपायर ने जितेश को आउट क्यों नहीं दिया?

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अगर गेंदबाज़ के गेंद डालने से पहले ही नॉन स्ट्राइकर एंड पर खड़ा बल्लेबाज़ क्रीज़ से बाहर निकल जाए और बॉलर स्टंप पर गेंद मार दे तो उसे मांकडिंग कहा जाता है. हालांकि ऐसा करते हुए गेंदबाज़ स्टंप नहीं उड़ा पाए तो उसे डेड बॉल करार दिया जाता है
एमसीसी के नियम 38.3.1 के अनुसार, जब गेंदबाज़ गेंद डालने वाला होता है, तब गेंद फेंकने की स्थिति में आने से पहले तक, नॉन-स्ट्राइकर छोर का बल्लेबाज़ अगर क्रीज़ से बाहर निकल जाता है तो उसे रन-आउट किया जा सकता है.
ये एक तरह से रन आउट ही होता है और इस मांकडिंग कहा जाता है.
इस नियम के मुताबिक़, 'गेंद छोड़ने का समय' उसे कहते हैं जब गेंदबाज़ का हाथ एक्शन के दौरान सबसे ऊपर पहुंचता है.
दिग्वेश राठी का हाथ ऊपर की ओर गया ही नहीं लिहाजा अंपायर ने जितेश को आउट नहीं दिया.
हालांकि, उसी दौरान ऋषभ पंत ने भी फ़ील्ड अंपायर को बताया कि वो ऐसे आउट नहीं करना चाहते और फिर दोनों कप्तान आपस में गले मिलते दिखे.
आख़िर क्या है रन आउट करने का यह 'मांकड' तरीक़ा?

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आउट करने का यह तरीक़ा अनौपचारिक तौर पर मांकडिंग रनआउट के नाम से विख्यात है. क्रिकेट में पहली बार 1947 में खेले गए भारत-ऑस्ट्रेलिया टेस्ट मैच में इस तरह से आउट दिया गया था. तब भारत के गेंदबाज़ वीनू मांकड ने ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज़ बिल ब्राउन को इसी तरह से आउट किया था.
यह दौरे का दूसरा टेस्ट मैच था. मांकड गेंद डाल रहे थे. ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज़ बिल ब्राउन नॉन स्ट्राइकर छोर पर थे.
इस दौरान वीनू मांकड ने पाया कि ब्राउन उनकी गेंद डालने से पहले ही रन लेने के लिए बाहर निकल जाते हैं.
ऐसी ही एक गेंद पर उन्होंने गेंद डालने की बजाए अपने छोर के स्टंप्स बिखेर दिए और अंपायर ने नॉन स्ट्राइकर छोर के बल्लेबाज़ को आउट दे दिया. तभी से इस तरह आउट करने को 'मांकडिंग' के नाम से जाना जाता है.
ब्रैडमैन ने 'मांकडिंग' को वैध हिस्सा बताया था

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हालांकि तब इसकी बहुत आलोचना हुई थी लेकिन बाद में उस टेस्ट में ऑस्ट्रेलियाई कप्तान रहे सर डॉन ब्रैडमैन ने इसका समर्थन किया था.
उन्होंने अपनी आत्मकथा 'फ़ेयरवेल टू क्रिकेट' में 'मांकडिंग' को खेल का वैध हिस्सा बताया था.
उन्होंने लिखा था, "मैं यह नहीं समझ पा रहा हूं कि क्रिकेट के नियमों में यह स्पष्ट रूप से लिखा है कि नॉन-स्ट्राइकर बल्लेबाज़ को गेंद डाले जाने तक अपनी जगह पर ही रहना चाहिए. अगर नहीं, तो फिर ऐसा प्रावधान क्यों है जिसके तहत गेंदबाज़ उसे रन आउट कर सकता है");