फ़्रांस में धुर-दक्षिणपंथी राजनीति के उभार का क्या होगा यूरोप और दुनिया पर असर?

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- Author, कात्या एडलर
- पदनाम, यूरोप एडिटर
पिछले सप्ताह फ़्रांस में संसदीय मतदान के पहले दौर के बाद, यूरोप में ख़बरों की सुर्ख़ियों से लेकर, ब्रसेल्स में यूरोपीय संघ और सरकारी कार्यालयों में, देश में एक नए दक्षिणपंथी उदय की चर्चा व्यापक रूप से देखने को मिली.
फ़्रांस में मरीन ले पेन की पार्टी-नेशनल रैली ने शानदार प्रदर्शन किया है, हालांकि उन्हें बहुमत मिलता नहीं दिख रहा.
फ़्रांस की सेंट्रिस्ट और लेफ़्टिस्ट पार्टियों ने रविवार के निर्णायक दूसरे दौर से पहले, एक-दूसरे के दावेदारों को मज़बूत करने के लिए रणनीतिक रूप से अपने उम्मीदवारों को वापस ले लिया है.
जानकारों का मानना है कि फ़्रांसीसी चुनावों का पूरी दुनिया पर असर पड़ सकता है. फिर चाहे नेशनल रैली पार्टी को बहुमत मिले या नहीं. या फिर सोशल मीडिया और तकनीक-प्रेमी राष्ट्रपति जॉर्डन बार्डेला फ्रांस के नए प्रधानमंत्री बनें या नहीं.
मतदान के रुझानों के अनुमानों के मुताबिक, नेशनल रैली को किसी भी दूसरे राजनीतिक दल के मुकाबले ज़्यादा सीटें जीतने का अनुमान है. इसका मतलब है कि यूरोपीय संघ के प्रमुख देश फ़्रांस में दशकों से चली आ रही परंपरा टूट भी सकती है.