विकास यादव से पहले इनपर भी लग चुके हैं विदेशों में भारतीय एजेंट होने के आरोप

- Author, रेहान फ़ज़ल
- पदनाम, बीबीसी हिंदी
अमेरिका के जस्टिस डिपार्टमेंट ने भारतीय नागरिक विकास यादव के ख़िलाफ़ भाड़े पर हत्या करवाने की साज़िश रचने का मामला दर्ज किया है.
इससे क़रीब छह महीने पहले 29 अप्रैल को ‘वॉशिंगटन पोस्ट’ में छपी एक रिपोर्ट में बताया गया था, “जिस समय राष्ट्रपति बाइडन व्हाइट हाउस के लॉन में मोदी का स्वागत कर रहे थे, भारतीय जासूसी एजेंसी रॉ का एक अधिकारी भाड़े की एक हिट टीम को अमेरिका में मोदी के एक बड़े आलोचक गुरपतवंत सिंह पन्नू को ख़त्म करने के निर्देश दे रहा था.”
गोपनीय सूत्रों से मिली जानकारियों के आधार पर लिखी गई इस रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय एजेंट विक्रम उर्फ़ विकास यादव ने हिट टीम को पन्नू का न्यूयॉर्क का पता फ़ॉरवर्ड किया था.
वॉशिंगटन पोस्ट में प्रकाशित लेख में कहा गया, “पन्नू को निशाना बनाने वाले ऑपरेशन को उस समय के रॉ के प्रमुख सामंत गोयल ने मंज़ूरी दी थी.”

लेख के मुताबिक यादव सीआरपीएफ़ के अफ़सर थे इसलिए उनके पास उस ट्रेनिंग और हुनर का अभाव था जो कि अमेरिकी काउंटर इंटेलिजेंस नेटवर्क को चकमा देने की क्षमता रखती हो.
वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट में आगे लिखा गया था कि पन्नू की हत्या के लिए रॉ ने जिस बिचौलिए निखिल गुप्ता का इस्तेमाल किया उसने अनजाने में हत्या की सुपारी एक ऐसे शख़्स को दे दी जो अमेरिकी सरकार का मुखबिर था.
भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने वॉशिंगटन पोस्ट में छपी रिपोर्ट को ‘निराधार और तथ्यहीन’ बताया था.
रॉ के एक पूर्व विशेष सचिव ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “इस तरह के ऑपरेशन को पूरा करने में कभी-कभी महीनों और कुछ मामलों में तो सालों लग जाते हैं, लेकिन रॉ के उच्चाधिकारी और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े हुए चोटी के लोग इसे तुरंत निपटाना चाहते थे. इस संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि इस काम के लिए एजेंसी पर राजनीतिक दबाव पड़ रहा हो.”
निखिल की पृष्ठभूमि जानने वालों का कहना है, “निखिल गुप्ता पहले अफ़गानिस्तान और दूसरे देशों में रॉ के ऑपरेशन में सहयोग करते आए थे, लेकिन उनका पश्चिम में पहली बार किसी ऑपरेशन में इस्तेमाल किया गया था.”

कुलभूषण जाधव का मामला

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लेकिन ये पहली बार नहीं है जब किसी व्यक्ति को विदेश में गिरफ़्तार किया गया हो या वापस भेजा गया हो. इससे पहले भी ऐसी कुछ घटनाएं हो चुकी हैं.
सात वर्ष पहले इसी तरह का मामला सामने आया था, जब कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान-ईरान सीमा पर भारत के लिए जासूसी करने के आरोप में पकड़ा गया था.
पहले भारतीय नौसेना में अधिकारी रहे जाधव अब भी पाकिस्तानी जेल में हैं और उन्हें भारत वापस लाने के सभी प्रयास अभी तक नाकाम रहे हैं.
अमेरिका और कनाडा ही नहीं, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी और ब्रिटेन में भी रॉ के कथित एजेंटों और घरेलू सुरक्षा एजेंसियों के बीच कई बार तनातनी हो चुकी है.
इन देशों में रॉ के जासूस कहे जाने वाले लोगों की गिऱफ़्तारी भी हुई है और उनका देश-निकाला भी हुआ है.
भारत में वॉशिंगटन पोस्ट के ब्यूरो चीफ़ गैरी शी ने ‘द वायर’ को दिए इंटरव्यू में कहा था, “पिछले कई दशकों से भारतीय प्रशासन की निगाह में खालिस्तानी आंदोलन भारतीय सुरक्षा के लिए बहुत बड़ा ख़तरा रहा है और विदेशों में ख़ुफ़िया तंत्र ने अक्सर उनकी गतिविधियों पर नज़र रखी है. भारतीय अधिकारियों की इन गतिविधियों को इन देशों की सरकारों ने कभी-कभी नापसंद भी किया है.”